उछलना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

उछलना क्रि॰ अ॰ [सं॰ उच्छलन]

१. नीचे ऊपर होना । वेग से ऊपर उठना और गिरना । जैसे—समुद्र का जल पुरसों उछलता है ।

२. झटके के साथ एकबारगी शरीर को क्षण भर के लिये इस प्रकार ऊपर उठा लेना जिसमें पृथ्वी का लगाव छूट जाय । कूदना । जैसे—उस लड़के ने उछलकर पेड़ से फल तोड़ लिया । विशेष—अत्यंत प्रसन्नता के कारण भी लोग उछलते हैं । जैसे, यह बात सुनते ही वह खुशी के मारे उछल पड़ा ।

३. अत्यंत प्रसन्न होना । खुशी से फूलना । जैसे, जब से उन्होंने यह खबर सुनी है तभी से उछल रहे हैं ।

४. चिह्न पड़ना । उपटना । उभड़ना । जैसे, (क) उसके हाथ में जहाँ जहाँ बेंत लगा है, उछल आया है । (ख) तुम्हारे माथे में चंदन उछला नहीं । (ग) इस मोहर के अक्षर ठीक उछले नहीं । उ॰—बैठ भँवर कुच नारँग लारी, लागे नख उछरै रंग धारी ।—जायसी (शब्द॰) ।

५. उतराना । तरना । उ॰— (क) चोर चुराई तूँबड़ी गाड़ी पानी माहि । वह गाड़े ते ऊछलै यों करनी छपनी नाहिं । कबीर (शब्द॰) । (ख) बैरी बिन काज बूड़ि बूड़ि उछरत वह बड़े बंस विरद बड़ाई सो बडायती । निधि है निधान की परिधि प्रिय प्रान की सुमन की अवधि वृषभान की लड़ायती ।— देव (शब्द॰) ।

उछलना क्रि॰ स॰ [सं॰ उच्छालन]

१. ऊपर की ओर फेंकना । उचकना ।

२. प्रकट करना । प्रकाशित करना । उजागर करना । जैसे, तुम अपनी करनी से अपने पुरखों का खूब नाम उछाल रहे हो ।

३. कलंकित करना । बदनाम करने की चेष्टा करना । (व्यंग्य) ।