उछार
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]उछार पु स्त्री॰ पुं॰ [सं॰ उच्छाल] सहसा ऊपर उठने की क्रिया । उछाल ।
२. ऊपर उठने की हद । ऊँचाई जहाँ तक कोई वस्तु उचल सकती है ।
३. ऊँचाई । उ॰— यक लख योजन भानु तें, है शशि लोक उछार । योजन अड़तालिस सहस में ताक ो बिस्तार ।—विश्राम (शब्द॰) ।
४. उछलता हुआ कण । छींटा । उ॰—आई खेलि होरी ब्रजगोरी संग अंग अंग रंगीन अनंग सरसाइगो । कुंकुम की मार वापै रंगिनि उछार उड़ै बुक्का औ गुलाल लाल लाल बरसाइगो । रसखान (शब्द॰) ।
५. वमन । कै ।