उजागर
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]उजागर ^१ वि॰ [उद् = ऊपर, अच्छी तरह + जागर = जागना, जलना, प्रकाशित होना । जैसे, उदबुद्ध्य स्वाग्ने प्रति जागु हीथ । प्रा॰ उज्जागर = जागरण अथवा सं॰ उद्योतकर, प्रा॰ उज्जोअगर । स्त्री॰ उजागरी]
१. प्रकाशित । जाज्वल्यमान् । दीप्तिमान् । जगमगाता हुआ ।
२. प्रसिद्ध । विख्यात । उ॰— (क) जांबवान जो बली उजागर सिंह मारि मणि लीन्ही । पर्वत गुंफा बैठि अपने गृह जाय सुता को दीन्ही ।—सूर (शब्द॰) (ख) सोई बिजई बिनई गुनसागर । तास सुजस उजागर । ।—तुलसी (शब्द॰) । (ग) क्यों गुन रूप उजागरि त्रयलोक नागरि भूखन धारि उतारन लागी । ।—मतिराम (शब्द॰) । उ॰—बंधु बंस तैं कीन्ह उजागर । भजेहु राम सोभा सुखसागर । —मानस । ६ । ३३ । क्रि॰ प्र॰—करना होना ।