उजाड़
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]उजाड़ ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ उत् + जड़ या जर अथवा उज्ज्वाल > उजार > उजाड़ु]
१. उजड़ा हुआ स्थान । ध्वस्त स्थान । गिरी पड़ी जगह ।
२. निर्जन स्थान । शून्य स्थान । वह स्थान जहाँ बस्ती न हो ।
३. जंगल । बियाबन । उ॰—बड़ ा हुआ तो क्या हुआ जो रे बड़ा मति नाहिं । जैसे फूल उजाड़ का मिथ्या ही झरि जाहि ।—जायसी (शब्द॰) ।
उजाड़ ^२ वि॰
१. ध्वस्त । उच्छिन्न । गिरा पड़ा । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना । उ॰—अबहूँ दृष्टि मया करु नाथ निठुर घर आव, मंदिर उजाड़ होत है नव कै आई बसाव ।—जायसी (शब्द॰) ।
२. जो आबाद न हो । निर्जन । जैसे—उस उजाड़ गाँव में क्या था जो मिलता ।
उजाड़ वि॰ [हिं॰ उजाड़ना] उजाड़नेवाला । नष्ट करनेवाला ।