उड़ना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]उड़ना ^१ क्रि॰ अ॰ [सं॰ उड्ड़ीयन]
१. चिड़ियों का आकाश या हवा में होकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना । जैसे— चिड़ियाँ उड़ती हैं । उ॰—सुआ जो उतर देत रह पूछा । उड़िगा पिंजर न बोलै छूछा ।—जायसी (शब्द॰)
१. आकाश- मार्ग से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना । हवा में होकर जाना । निराधार हवा में ऊपर फिरना । जैसे,—गर्द उड़ना, पत्ती उड़ना । उ॰—अंधकूप भा आवइ उड़त आव तस छार । ताल तालाब औ पोखरा धूरि भरी ज्योनार ।—जायसी (शब्द॰) ।
३. हवा में ऊपर उठना । जैसे—गुड्डी उड़ रही है । उ॰—लहर झकोर उड़हिं जल भीजा तौहू रूप रंग नहिं छीजा । जायसी (शब्द॰) । हवा में फैलना । जैसे— छींटा उड़ना, सुगंध उड़ना, खबर उड़ना ।
५. वायु से चीजों का इधर उधर हो जाना । छितराना । फैलना । जैसे,—एक ऐसा झोंका आया कि सब कागज कमरे भर में उड़ गए ।
६. किसी ऐसी वस्तु का हवा में इधर उधर हिलना जिसका कोई भाग किसी आधार से लगा हो । फहराना । फरफराना । जैसे—पताका उड़ रही है ।
७. तेज चलना । वेग से चलना । भागना । जैसे—(क) चलो उड़ों, अब देर मत करो । (ख) घोड़ा सवार को लेकर उ । । उ॰—कोइ बोहित जग पवन उड़ाहीं । कोई चमकि बीच पर जाहीं ।—जायसी (शव्द॰) ।
८. झटके के साथ अलग होना । कटना । गिरकर दूर जा पड़ना । जैसे,—(क) एक हाथ में बकरे का सिर उड़ गया । (ख) सँभालकर चाकू पकड़ो नहीं तो उँगली उड़ जायगी । उ॰—फूटा कोट फूट जनु सीसा । उड़हीं बुर्ज जाहिं सब पीसा ।—जायसी (शब्द॰)
९. पृथक् होना । उघड़ना । छितराना । जैसे—किताब की जिल्द उड़ गई । उ॰—वहिके गुण सँवरत भइ माला । अबहूँ न बहुरा उड़िगा छाला ।— जायसी (शब्द॰)
१०. जाता रहना । गायब होना । लापता होना । दूर होना । मिटना । नष्ट होना । उ॰—(क) घर बंद का बंद और सारा माल उड़ गया । (ख) अभई तो वह स्त्री यहीं बैठी थी, कहाँ उड़ गई । (ग) देखते देखते दर्द उड़ गया । (घ) इस पुरानी पुस्तक के अक्षर उड़ गए हैं, पढ़े नहीं जाते । (ङ) रजिस्टर से लड़के का नाम उड़ गया ।
११. खाने पीने की चीज का खर्च होना । आनंद के साथ खाया पीया जाना । जैसे,—कल तो खूब मिठाई उड़ी ।
१२. किसी योग्य वस्तु का भोगा जाना । जैसे, स्त्री संभोग होना ।
१३. आमोद प्रमोद की वस्तु का व्यवहार होना । जैसे,—(क) वहाँ तो ताश उड़ रहा है । (ख) यहाँ दिन रात तान उड़ा करती है ।
१४. रंग आदि का फीका पड़ना । धीमा पड़ना । जैसे—(क) इस कपड़े का रंग उड़ गया । (ख) इस बरतन की कलई उड़ गई । १४ किसी पर मार पड़ना । लगना । जैसे—उसपर स्कूल में खूब बेंत उड़े ।
१६. बातों में बहलाना । भुलावा देना । चकमा देना । धोखा देना । जैसे— भाइ उड़ते क्यों हो, साफ साफ बताओ ।
१७. घोड़े का चौफाल कूदना । घोड़े का चारो पैर उठाकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर बड़ी शान से रखना । जमना । १८ फर्लांग मारना । फलांगना । कूदना । (कुशती) ।
उड़ना ^२ क्रि॰ स॰ फर्लांग मारकर कीसि वस्तु को लाँघना । कूदकर पार करना । जैसे—(क) वह घोड़ा खाईं उड़ता है । (ख) अच्छे सिखाए हुए घोड़े सात सात टट्टियाँ उड़ते हैं । (ग) वह घोड़ा बात की बात में खंदक उड़ गया । मुहा॰—उड़ आना—(१) किसी स्थान से वेग से आना । झटपट आना । भाग आना । जैसे—इतने जल्द तुम वहाँ से उड़ आए । उ॰—बहुत व्यास कह ठाकुर काही । उड़ि अइहै ठाकुर ब्रज माँही ।—रघुराज (शब्द॰) । २ इतनी जल्दी आना कि किसी को खबर न हो । चुपके से भाग आना । उ॰—(क) करी खेचरी सिद्ध जनु उड़ि सी आई ग्वारि । बाहिर जनु मदमत्त बिधु दियो अमी सब डारि ।—व्यास (शब्द॰) । उड़ चलना—(१) तेज दौड़ना । सरपट भागना । (२) शोभित होना । भला लगना । अच्छा लगना । फबना । जैसे,—टोपी देने से वह उड़ चलता है । (३) मजेदार होना । स्वादिष्ट बनना । जैसे—तरकारी मसाले से उड़ चलती है । (४) कुमार्ग स्वीकार करना । बदराह बनना । जैसे,—अब तो वह भी उड़ चला । (५) इतराना । मर्यादा को छोड़ चलना । बढ़कर चलना । घमंड करना । जैसे,—नीच आदमी थोड़े ही में उड़ चलते हैं । उड़ता होना या बनना = भाग जाना । चलता होना । चल देना । जैसे—वह सारा माल लेकर उड़ता हुआ । उड़ती खबर = वह खबर जिसकी सचाई का निश्चय नहो । बाजारू खबर । किंवदंती । उड़ती चिड़िया पकड़ना+असंभ व कार्य करना । उ॰—अब तो वह उड़ती चिड़ीयाँ पकड़ती है ।—सैर कु॰, पृ॰ २९ । उड़ खाना=(१) उड़ उड़ के काटना । धर खाना । (२) अप्रिय लगना । न सुहाना । उ॰—ता ऊपर लिखि योग पठावत खाहु नीब तजि दाख । सूरदास ऊधो की बातियाँ उड़ि उड़ि बैठी खात ।—सूर (शब्द॰) ।