उत्सर्ग

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

उत्सर्ग संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ उत्सर्गो, औत्सर्गिक, उत्सर्ग्य]

१. त्याग । छोड़ना । यौ॰—वृषोत्सर्ग । व्रतोत्सर्ग ।

२. दान । न्योछावर ।

३. समाप्ति । एक वैदिक कर्म । विशेष—यह पूस महाने की रोहणी और अष्टका को ग्राम से बाहर जल के समीर अपने गृह सूत्र की विधि के अनुसार किया जाता है । उसके बाद दो दिन एक रात वेद की पढ़ाई बंद रहते है ।

४. व्याकरण का कोई साधारण सा नियम ।