उदासी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

उदासी ^१ वि॰ [सं॰ उदासिन्] तटस्थ । अलग । निरपेक्ष [को॰] ।

उदासी ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ उदास+हिं॰ ई (प्रत्य॰)] [स्त्री॰ उदासिन]

१. विरक्त पुरुष । त्यागी पुरुष । संन्यासी । उ॰—(क) होय गृही पुनि होय उदासी । अंतकाल दोनों विश्वासी ।—जायसी (शब्द॰) । (ख) ओहि पथ जाइ जो होय उदासी । जोगी जती तपा संन्यसी ।—जायसी ग्रं॰, पृ॰ ५० । (ग) प्रमुदित तीरथराज निवासी । बैषानस, बटु गृही उदासी ।—मानस, २ ।२०५ ।२ नानकशाही साधुओं का एक भेद । दे साधु शिखा नहीं रखते । ये संन्यासियों के समान सिर घुमाते और लँगोट पहनते हैं ।

उदासी ^३ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ उदास+हिं॰ ई (प्रत्य॰)]

१. खिन्नता । उत्साह या आनंद का अभाव । दुख जैसे—(क) नादिरशाह के आक्रमण के बाद दिल्ली में चारों ओर उदासी बरसती थी । (ख) राम के वनवास से अयोध्या में उदासी छा गई । उ॰— बिनु दशरथ सब चले तुरत ही कोशल पुर के वासी । आए रामचंद्र मुख देख्यो सबकी मिटी उदासी ।— सूर (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—छाना । टपकना । बरसना ।—होना ।