उद्धार

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

उद्धार संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ उद्धारक, उद्धारित]

१. मुक्ति । छुटकारा । त्राण । निस्तार । दु:खनिवृत्ति । जैसे,—(क) इस दु:ख से हमारा उद्धार करो । (ख) इस ऋण से तुम्हारा उद्धार जल्दी न होगा ।

२. बुरी दशा से अच्छी दशा में आना । सुधार । उन्नति । अभ्युदय । यौ॰—जीर्णोद्धार । क्रि॰ प्र॰— करना ।—होना ।

३. ऋणमुक्ति । कर्ज से छुटकारा ।

४. संपत्ति का वह अंश जो बराबर बाँटने के पहले किसी विशेष क्रम से बाँटने के लिये निकाल लिया जाय । विशेष—मनु के अनुसार पैतृक संपत्ति का २० वाँ भाग सबसे बड़े के लिये, ४०वाँ उससे छोटो के लिये, ८०वाँ उससे छोटे के लिये इत्यादि निकालकर तब बाकी को बराबर बाँटना चाहिए ।

५. युद्ध की लूट का छठा भाग जो राजा लेता है ।

६. ऋण, विशेषकर वह जिसपर ब्याज न लगे ।

७. चूल्हा ।

८. अनु— कंपा । कृपा (को॰) ।

९. जाना । गमन करना (को॰) ।

१०. उद्धगण (को॰) ।