उन्मनी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] खेचरी, भूचरी आदि हठयोग की पाँच मुद्राओं में से एक । इसमें दृष्टि को नाक की नोक पर गड़ाते हैं और भौं को ऊपर चढ़ाते हैं ।