उन्मनी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

उन्मनी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] खेचरी, भूचरी आदि हठयोग की पाँच मुद्राओं में से एक । इसमें दृष्टि को नाक की नोक पर गड़ाते हैं और भौं को ऊपर चढ़ाते हैं ।