उन्माद

विक्षनरी से

हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

उन्माद सं॰ पुं॰ [सं॰ उद्+मद्, 'चितविश्रयी'] [वि॰ उन्मादक, उन्मादी]

१. पागलपन । बावलापन । विक्षिप्तता । चित्त—विभ्रम । वह रोग जिसमें मन और बुद्धि का कार्यक्रम बिगड़ जाता है । विशेष— वैद्यक के रनुसार भाँग, धतूरा आदि मदक द्रव्यों तथा प्रकृतिविरुद्ध पदार्थों के सेवन तथा भय, हर्ष शोक, आदि की अधिकता से मन वातादि दोषयुक्त हो जाता है और उसकी धारण शक्ति जाती रहती है । बुद्धि ठिकाने न रहना, शरीर का बल घटना, दृष्टि स्थिर न रहना आदि उन्माद के पूर्वरूप कहे गए हैं । उन्माद के छह मुख्य भेद माने गए हैं—वातो—न्माद, पित्तोन्माद, सन्निपातोन्माद, शोकोन्माद और विषोन्माद ।