उन्ह पु † सर्व॰ [हिं॰] दे॰ 'उन' उ॰—ता मधि पूरी ऐसी सोभा मैनों भँवर लपटता, उन्ह मधि उड़ि परे रंग मँजीठे ।—पोद्दार अभि॰ ग्रं॰, पृ॰ ३६४ । (ख) उन हुत देखै पायाऊँ दरस गोसाई केर ।—जायसी ग्रं॰ पृ॰ ८ ।