उपचार
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]उपचार संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ उपचारक, उपचारी, उपचारित, औपचारिक]
१. व्यवहार । प्रयोग । विधान ।
२. चिकित्सा । दवा । इलाज । उ॰—ग्रह ह्रहीत पुनि बात बस, तेहि पुनि बीछी मार । ताही पियाइअ बारुनी, कहहु कौन उपचार ।— मानस, २ । दो॰ १८० ।
३. सेवा । तीमारदारी ।
४. धर्मा- नुष्ठान ।
५. पूजन के अंग या विधान जो प्रधानतः सोलह माने गय हैं जैसे,—आवाहन, आसन, अर्घपाघ, आचमन, मधुपर्क, स्नान, वस्त्राभरण, यज्ञोपवीत, गंध, (चदन), पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, तांबूल, परिक्रमा, बंदना । उ॰—कै पूजन को उपचार लै चाहाति मिलन मन मोहुई ।—भारतेंदु ग्रं॰, भाग १, पु॰ ४५५ । यौ॰—षोड़ोशपचार ।
६. किसी को संतुष्ट करने के लिये उसके मुहँ पर झूठ बोलना । खुशामद ।
७. घूम । रिश्वत ।
८. एक प्रकार की संधि जिसमें विसर्ग के स्थान पर श या स हो जाता है जैसे, —निःछल से निश्छल । निःसन्देह से निस्सदेह ।
८. सामवेद का एक परिशिष्ट ।