उपज
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]उपज संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ उत्त+पद् या उत्पाद्य प्रा॰ उप्पज्ज]
१. उत्पत्ति । उद्भव । पैदावार । जैसे, इस खेत की उपज अच्छी है । विशेष—इसका प्रयोग बड़े जीवों के संबंध में नहीं होता, विशेषकर वनस्पति के संबंध में होता है ।
२. मन में आई नई बात । नई उक्ति । उदभावना । सूझ । जैसे, यह सब कवियों की उपज है ।
३. मन में गढ़ी हुई बात । मनगढंन । मुहा॰—उपज की लेना = नई उक्ति निकालना ।
४. गाने में राग की सुंदरता के लिये उसमें बँधी हुई तानें के सिवा कुछ तान अपनी ओर से मिला देना । सितार बजानेवाले इसे मिजराब कहते हैं । उ॰— धरे अधर उपंग उपजै लेत हैं गिरिधारि ।— सूर (शब्द) । क्रि॰ प्र॰—लेना ।