उपधान

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

उपधान संज्ञा॰ पुं॰ [सं॰] [वि॰ अपधातक, उपघाती]

१. नाश करन े की क्रिया ।

२. इंद्रियों का अपने अपने काम में असमर्थ होना । अशक्ति ।

३. रोग । व्याधि ।

४. इन पाँच पातकों का समूह- उपपातक, जातिभ्रं शीकरण, संकरोकरण, अपात्रीकरण, अपात्रीकरण, मलिनीकरहणा ।—स्मृति । ५ । आघात । प्रहार (को॰) ।

६. आक्रमण । हमला (को॰) ।

उपधान संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ उपहित]

१. ऊपर रखना या ठहराना ।

२. वह जिसपर कोई वस्तु रखी जाय । सहारे की चीज । यौ॰—पादोपधान ।

३. तकिया गडुआ । बालिश । उ॰—बिबिध बसन उपधान तुराई, छीर फेन सम विसद सुहाई ।—मानस, २ । ९१ ।

४. मंत्र जो यज्ञ की ईंट रखते समय पढ़ा जाता है ।

५. विशेषता ।

६. प्रणय । प्रेम ।