उपधि संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ औपाधिक] १. जानबूझकर और का और कहना । छल । कपट । २. चक्रया पहिया (को॰) । ३. (बोद्ध मत के अनुसार) आधार या नींव (को॰) ।