उपशम

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

उपशम संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. वासनाओं को दबाना । इंद्रियनिग्रह । निवृत्ति । शंति । उ॰— राम भलाई आपनी भल कियो न काकी । चितवत भाजन कर लियो उपशम समता को ।— तुलसी (शब्द॰) ।

२. निवारण का उपाय । इलाज । चारा । उ॰—कामानल को ताप यह हिय जारैगा तोहि । वृथा जरो, उपशम कछू मूझत नाहीँ मोहिं । —रत्नावली (शब्द॰) ।