उपार्जन संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ उर्पाजनीय, उपार्जित] कमाना पैदा करना । लाभ करना । प्राप्त करना । उ॰—प्राप कुछ उपार्जन किया ही नहीं, जो था वह नाश हो गया । —भारतेंदु ग्रं॰ भा॰ १, पृ॰ २६५ । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना ।