उफनना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

उफनना पु क्रि॰ अ॰ [सं॰ उत्+फेन या उत्+फण = गमन, या सं॰ उत्+हिं॰ फाल = गति चलना]

१. उबलना । उठना । आँच या गरमी से फेन के साथ होकर ऊपर उठना । उ॰—(ख) उफनत छीर जननि करि व्याकुल, इहि विधि भुजा छड़ायो ।—सूर॰, १० ।९६० । (ख) उफनत दूध न धरयो उतारि । सीझी थूली चूल्हे दारि ।—सूर (शब्द॰) ।

२. उमड़ना । उ॰—अनुराग के रंगन रूपं तरंगन अंगन रूप मनो उफनी । (शब्द॰) ।