उमहना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

उमहना पु क्रि॰ अ॰ [सं॰ उन्मथन, प्रा॰ उम्महण अथवा सं॰ उद्+मह = उभाड़ना]

१. उमड़ना । भरकर ऊपर आना । उमगना । फूट चलना । उ॰—(क) सोने सो जाको स्वरूप सबै कर पल्लव कांति महा उमही है ।—देव (शब्द॰) । (ख) कान्ह भले जू भले समझयहौ मोह समुद्र को जो उमह्यो है ।—केशव आपने मानिक सो मन हाथ पणए दे कौने लह्यौ है ।—केशव (शब्द॰) ।

२. छाना घेरना । चारों ओर से टूट पड़ना । उ॰—सघन विमान गगन भरि रहे । कौतुक देखन अम्मर उमहे ।—सुर (शब्द॰) ।

३. उमंग में आना । जोश में आना । उ॰—गाँव धवावति ही नँदलाल सों ऐठि उमेठन रंग भरी सी । चारु महाकवि की कविता सी लसै रस में दुलही उमही सी ।—(शब्द॰) ।