उर्दु

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

उर्दु ^२ संज्ञा स्त्री॰ [तुं॰] वह हिंदी जिसमें अरबी, फारसी भाषा के शब्द अधिक मिले हों और जो फारसी लिपि में लिखी जाय । विशेष—तुर्की भाषा में इस शब्द का अर्थ लश्कर, सेना का शिविर है । शाहजहाँ के समय से इस शब्द का प्रयोग भाषा के अर्थ में होने लगा । उस समय बादशाही सेना में फारसी, तुर्क और अरब आदि भरती थे और वे लोग हिंदी में कुछ फारसी, तुर्की, अरबी आदि के शब्द मिलाकर बोलते थे । उनको इस भाषा का व्यवहार लश्कर के बाजार में चीजों के लेनदेन में करना पड़ता था । पहले उर्दु एक बाजारू भाषा समझी जाती थी पर धीरे धीरे वह साहित्य की भाषा बन गई । यौ॰—उर्दु ए मुअल्ला =प्रशस्त या उच्च कोटि की उर्दू जिसमें अरबी फारसी शब्दों का अधिकतम प्रयोग हो । उर्दू बेगनी= बाजार में खरीदी हुई स्त्रियाँ जो लड़ाई के वक्त अमीरों की बेगम का काम करती थी ।—राज॰ इति॰, पृ॰ ७६६ ।