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उलटना

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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उलटना क्रि॰ अ॰ [सं॰ उलण्ठन या अवलुण्ठन]

१. ऊपर नीचे होना । ऊपर का नीचे और नीचे का ऊपर होना । औंधा होना । पलटना । जैसे, यह दावात कैसे उलट गई । संयो॰ क्रि॰—जाना ।

२. फिरना । पीछे मुड़ना । घूमना । पलटना । जैसे—मैने उलटकर देखा तो वहाँ कोई न था । उ॰—जेहि दिसि उलटै सोई जनु खावा । पलटि सिंह तेहि ठाऊँ न आवा ।— जायसी (शब्द॰) । संयो॰ क्रि॰—पड़ना । विशेष—गद्य में पूर्वकालिक रूप में 'पड़ना' के साथ संयुक्त रूप ही में यह क्रिया अधिक आती है ।

३. उमड़ना । टूट पड़ना । उलझ पड़ना । एकबारगी बहुत संख्या में आना या जाना । जैसे—तमाशा देखने के लिये सारा शहर उलट पड़ा । उ॰—नयन बाँक सर पूज न कोऊ मन समुद्र अस उलटहिं दोऊ ।—जायसी (शब्द॰) ।

उलटना ^२ क्रि॰ स॰

१. नीचे का भाग ऊपर और ऊपर का भाग नीचे करना । औंधा करना । लौटना । पलटना । फेरना । जैसे—यह घड़ा उलटकर रख दो ।

२. औंधा गिराना ।

३. पटकना । दे मारना । गिरा देना । फेंक देना । जैसे, —पहले पहलवान ने दूसरे को हाथ पकड़ते ही उलट दिया ।

४. किसी लटकती हुई वस्तु को समेटकर ऊपर चढ़ाना । जैसे, — परदा उलटा दो ।

५. इधर का उधर करना । अंडबंड करना । अस्त व्यस्त करना । घालमेल करना । जैसे, —तुमने तो हमारा किया कराया सब उलट दिया ।

६. विपरीत करना । और और का करना । जैसे, —(क) उसने तो इस पद का सारा अर्थ उलट दिया । (ख) कलक्टर ने तहसील के इंतजाम को उलट दिया । संयो॰ क्रि॰—देना ।

७. उत्तर प्रत्युत्तर करना । बात दोहराना । जैसे, —(क) बड़ों की बात मत उलटा करो । उ॰—आवत गारी एक है उलटत होय अनेक । कहै कबीर नहिं उलटिए वही एक की एक ।—कबीर (शब्द॰) ।

८. खोदकर फेंकना । उखाड़ डालना । खोदना । खोदकर नीचे ऊपर करना । जैसे,—यहाँ की मिट्टी भी फावड़े से उलट दो । उ॰—बेगि देखाउ मूढ न तु आजू । उलटौं महि जहँ लगि तब राजू ।—तुलसी (शब्द॰) । संयो॰ क्रि॰—देना ।

९. बीज मारे जाने पर फिर से बोने के लिये खेत को जोतना ।

१०. बेसुध करना । बेहोश करना । जैसे, —माँग ने उलट दिया है, मुँह से बोला नहीं जाता है । संयो॰ क्रि॰—देना ।

११. कै करना । वमन करना । जैसे, —खाया पीया सब उलट दिया ।

१२. उँडेलना । अच्छी तरह डालना । ऐसा ढालना कि बरतन खाली हो जाय । जैसे, —उसने सब दवा गिलास में उलट दी । संयो क्रि॰—देना ।—लेना ।

१३. बरबाद करना । नष्ट करना । जैसे, —लड़की के ब्याह के खर्च ने उन्हें उलट दिया ।

१४. रटना । जपना । बार बार कहना । जैसे,—तू रात दिन क्यों उसी का नाम उलटती रहती है । विशेष—माला फेरने या जपने को 'माला उलटना' भी बालते हैं; इसी से यहा मुहावरा बना है ।

उलटना पलटना ^१ क्रि॰ स॰ [अवलुण्ठन परिलुण्ठन प्रा॰, उल्लढ्ढ पलट्ठ]

१. इधर उधर फेरना । नीचे ऊपर करना । जैसे,— (क) सब असबाब उलट पलट कर दोखो, घड़ी मिल जायगी । उ॰—उलटा पलटा न उपजे ज्यों खेतन में बीज ।—कबीर (शब्द॰) । (२) अँडबंड करना । अस्त व्यस्त करना ।

२. और का और करना । बदल डालना । जैसे,—नए राजा ने सब प्रबंध ही उलट पलट दिया ।

उलटना पलटना ^२ क्रि॰ अ॰ इधर उधर पलटा खाना । घूमना फिरना । उ॰—(क) आप अपुनपो भेद बिनु उलटि पलटि अरुसाइ, गुरू बिनु मिटइ न दुगदुगी अनबनियत न नसाइ ।— कबीर (शब्द॰) । (ख) उलटि पलटि कपि लंका जारी ।— (शब्द॰) ।