उलाहना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]उलाहना ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ उपालंभ, प्रा, उवालंभ, ओलंभ]
१. किसी की भूल या अपराध को उइसे दुःखपूर्वक जताना । किसी से उसकी ऐसी भूल चूक के विषय में कहना सुनान जिससे कुछ दुःख पहुँचा हो । शिकायत । गिला । जैसे, —जो हम उनके यहाँ न उमरेंगै तो वे जब मिलेंगे तब उलाहना देंगें ।— क्रि॰ प्र॰—देना ।
२. किसी के दोष या अपराध को उससे संबंध रखनेवाले किसी और आदमी से कहना । शिकायत । जैसे,—लड़के ने कोई नटखटी की है तभी ये लोग उसके बाप के पास उलाहना लेकर आए हैं । क्रि॰ प्र॰—देना । —लाना ।—लेकर आना ।
उलाहना ^२पु † क्रि॰ स॰ [हिं॰ उलाहना]
१. उलाहना देना । गिला करना ।
२. दोष देना । निंदा करना । उ॰—मोंहि लगावत दोष कहा है । तें निज लोचन क्यों न उलाहै ।—प्रताप- नारायण (शब्द॰) ।