ऊज

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

ऊज पु संज्ञा पुं॰ [देश॰] उपद्रव । ऊधम । अँधेरे । उ॰—हमारो दान मारयौ इनि रातिनी बेचि बेचि जात । घेरौ सखा जान ज्यों न पावै छियो जिनि । देखो हरि के ऊज उठाइबे की बात रातिबिराति बहु बेटी कोऊ निकसति है पुनि । श्राहरिदास के स्वामी की प्रकृति ना फिरि छइपा छांडो किनि ।—स्वामी हरिदास (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—उठाना ।—मचाना ।