ऊरु संज्ञा पुं॰ [सं॰] जानु । जंघा । रान । उ॰—रोक सकता हूँ ऊरूओं के बल से ही उसे, टूटे भी लगाम यदि मेरी कभी भूले से । —साकेत, पृ॰ ७३ ।