ऊसर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

ऊसर ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ ऊषर] वह भूमि जिसमें रहे अधिक हो ओर कुछ उत्पन्न न हो । उ॰—ऊसर बरसे तृण नहिं जामा ।— तुलसी (शब्द॰) । मुहा॰—ऊसर में कमल खिलाना=असंभव कार्य को संभव कर दिखाना । उ॰—बीज को धूल में मिलाकर भी, जो नहीं धूल में मिला देते । ऊसरों में कमल खिला देना, वे हँसी खेल हैं समझ लेते ।—चुभते॰, पृ॰ ८ ।

ऊसर ^२ वि॰ (भुमि) जिसमें तृण या पौधा न उत्पन्न हो ।