ऋतुमती

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

ऋतुमती वि॰ स्त्री॰ [सं॰]

१. रजस्वला । पुष्यवती । मासिक- धर्म—युक्ता । विशेष—धर्मशास्त्र और आयुर्वेद के अनुसार रजोदर्शन के उपरांत तीन दिन तक स्त्री को ब्रह्मचर्यपूर्वक रखना चाहिए, पति का मुख न देखना चाहिए चटाई इत्यादि पर सोना चाहिए, हाथ पर अथवा कटोरे या दोने में खाना चाहिए, आंसू न गिराना चाहिए, नाखून न कटाना चाहिए, तेल, उबटन और काजल न लगाना चाहिए, दिन को सोना न चाहिए, बहुत भारी शब्द न सुनना चाहिए, हँसना और बहुत बोलना भी न चाहिए । चौथे दिन स्नान करके सुंदर वस्त्र और आभूषण धारण करना और पति का मुख देखकर सब व्यवहार करना चाहिए ।

२. (स्त्री) जिसका ऋतुकाल हो । जिस (स्त्री) के रजोदर्शन के उपरांत के १६ दिन न बीते हों और गर्भाधान के योग्य हो ।