ऐकत पु वि॰ [सं॰ एकान्त] अकेला । एकाकी । उ॰—ऐकत छाँड़ि जाँहि घर घरनी तित भी बहुत उपाया । कहै कबीर कछु समझि न परई, विषम तुम्हारी माया ।—कबीर ग्रं॰, पृ॰ १५३ ।