ऐन

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

ऐन ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ अयन] घर । निवास । उ॰—प्रान के ऐन में नैन में बैन में ह्वै रह्ययो रूप गुन नाम तेरो ।—भिखारी॰ ग्रं॰, भा॰,१, पृ॰ २३४ ।

ऐन ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ एण] [स्त्री॰ ऐनी] मृग । हिरण । उ॰—(क) जिन्हैं देखिकै ऐन की सेन लाजी ।—पद्याकर ग्रं॰, पृ॰ २८० । (ख) ऐनि नैनि ऐनी भई बेनि गुही गुपाल ।—भिखारी॰ ग्रं॰, भा॰१, पृ॰ १६ ।

ऐन ^३ संज्ञा पुं॰ [अ॰] आँत । नयन । उ॰—जगजीवन गहि चरन गुरु ऐनन निरखि निहारि । —जग॰ बानी, पृ॰ १३१ ।

२. अरबी रिपि का एक अक्षर जो इस प्रकार C लिखा जाता है और जिसके ऊपर एक बिंदु लगाकर गैन बनाते हैं । उ॰— नाम जगत सम समुझु जग बस्तु न करु चित चैन । बिंदु गए जिमि गैन तें रहत ऐन को ऐन ।—स॰ सप्तक, पृ॰३९२

३. स्त्रोत । चश्मा (को॰) ।

ऐन ^४ वि॰

१. ठीक । उपयुक्त । सटोक । जैसे,—(क) तुम ऐन वक्त पर आए । (ख) मार्गशीर्ष की ऐन पूर्णिमा को जीवन में आया ।—अपलक, पृ॰ १६ ।

२. बिलकुल । पूरापूरा । जैसे—आपकी ऐन मेहरबानी है ।