ऐल
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]ऐल ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] इला का पुत्र पुरुरवा ।
ऐल ^२ पु संज्ञा पुं॰ [ हिं॰ अहिला]
१. बाढ़ । बूडा़ ।
२. अधिकता । बहुतायत । उ॰—भूखन भनत साहि तनै सरजा के पास आइबे को चढी़ उर हौंसनि की ऐल है । भूषण (शब्द॰)
३. समूह । झुंड । दल । उ॰—तीखे तेगबाही औ सिपाही चढे़ घोड़न पै स्याही चढै़ अमित अंरिंदन की ऐल पै ।—पद्माकर ग्रं॰, पृ॰ ३१० ।
४. शोरगुल । हलचल । खलबली । उ॰— खलनि के खैल भैल, मनमथ मन ऐल, सैलजा कै सैल गैल गैल प्रति रोक है । —केशव ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ १४५ ।
ऐल ^३ संज्ञा पुं॰ [देश॰] एक प्रकार कँटीली लता जिसकी पत्तियाँ प्रायः एक फुट लंबी होती हैं । अलई । अरू । विशेष—यह देहरादून, रुहेलखंड,अवध और गोरखपुर के नम जमीन में पाई जाती है । प्रायः खेतों आदि के चारों और इसकी बाढ़ लगाई जाती है । कहीं कहीं इसकी पत्तियाँ चमडा़ सिझाने के काम में भी आती हैं ।