ओड़
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]ओड़ ^१पु † संज्ञा पुं॰ [हिं॰ ओट] दे॰ 'ओट' । उ॰—गरब अगिन गहिरे सब जरा । बिनती ओड़ खरग निसतरा ।—चित्रा॰, पृ॰ १५५ ।
ओड़ ^२ पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ अवार] दे॰ 'ओर ^२' । उ॰—(क) कबार तासूँ प्रीति करि जो निरबाहै ओड़ि ।—कबीर ग्रं॰, पृ॰ ४८ । (ख) मानिनि मान आबहु कर ओड़ । रयनि लबहलि हे रहलि अछ थोड़ । —विद्यापति, पृ॰ १२२ ।
ओड़ ^३ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ औंड या देश॰]
१. वह जो गदहों पर ईँट, चूना मिट्टा आदि ढोता हो । गदहों पर माल ढोनेवाला व्यक्ति । दे॰ 'औंड' ।—वर्ण॰, पृ॰ १ ।