ओण्ठ

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

ओंठ † संज्ञा पुं॰ [सं॰ ओष्ठ, प्रा॰ ओट्ठ] मुँह के बाहरी उभडे़ हुए छोर जिनसे दाँत ढँके रहते हैं । लव । होंठ । रदच्छद । रदपट । उ॰—हरदम सिर पर मौत खडी़ है ओंठों पर ईश्वर है । —पथिक, पृ॰ ४२ । मुहा॰—ओंठ उखाड़ना=परती खेत को पहले पहल जोतना । ओंठ काटना=दे॰'ओंठ चबाना' । ओंठ चबाना=क्रोध और दुःख से ओंठ को दाँतों के नीचे दबाना । क्रोध और दुःख प्रकट करना । ओंठ चाटना=किसी वस्तु को खा चुकने पर स्वाद की लालसा रखना । जैसे,—उस दिन कैसी अच्छी मिठाई खाई थी, अबतक ओंठ चाटते होंगे । ओंठ चूसना=अधर चुंबन करना । ओंठ पपड़ाना=ओंठ पर खुश्की के कारण चमडे़ की सूखी हुई तह बँध जाना । ओठों पर आना या होना=जबान पर होना । कुछ कुछ स्मरण आने के कारण मुँह से निकलने पर होना । वाणी द्वारा स्फुरित होने के निकट होना । जैसे, —(क) उनका नाम ओंठों ही पर है, मैं याद करके बतलाता हूँ । (ख) उनका नाम ओंठों पर आ के रह जाता है । (अर्थात थोडा़ बहुत याद आता है और कहना चाहते हैं पर भूल जाता है) । ओठों पर मुस्कराहट या हँसी आना दिखाई देना=चेहरे पर हँसी देख पड़ना । ओंठ फटना=खूश्की के कारण ओंठ पर पपडी़ पड़ना । ओठ फड़कना=क्रोध के कारण ओंठ काँपना । ओंठ मलना=कड़ई बात करनेवाले को दंड देना । मुँह मसलना । जैसे, —अब ऐसी बात कहोगे तो ओंठ मल देंगे । ओठों में कहना=धीमें और अस्पष्ट स्वर में कहना । मुँह से साफ शब्द न निकलना । ओठों में मुसकराना= बहुत थोडा़ हँसना । ऐसा हँसना कि बहुत प्रकट न हो ।

ओंठ हिलना=मुँह से निकलना । ओंठ हिलाना=मुँह से शुद्ध निकलना ।