ओनाना ^१ † क्रि॰ स॰ [सं॰ अवनमन] १. दे॰ 'उनाना' । २. कान लगाकर सुनना ।
ओनाना ^२ क्रि॰ अ॰ [सं॰ आकर्णन, अकरर्णन] सुनाई पड़ना । श्रवणगोंचर होना । उ॰—हेरत घातै फिरै चहुघा तैं ओनात हैं बातैं दैवाल तरी सों ।—भिखारी ग्रं॰, भा१, पृ॰ २५ ।