ओप
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]ओप संज्ञा स्त्री॰ [प्रा॰ ओप्पा, हिं॰ ओपना]
१. चमक । दीप्ति । आभा । कांति । झलक । सुंदरता । शोभा । उ॰—(क) मलिन देह, वेई वसन, मलिन बिरह कैं रूप । पिय आगम औरै चढ़ी आनन ओप अनूप ।—बिहारी र॰, दो॰ १६३ । (ख) झीनैं पट मैं झुलमुली झलकति ओप अपार । सुरतरु की मनु सिंधु मैं लसति सपल्लव डार ।—बिहारी र॰, दो॰ १६ ।
२. जिला । पालिश । उ॰—एरी प्रानप्यारी तेरी जानु कै सुजानु बिधि ओप दीन्हों अपनी तमाम सुधराई कों ।— भिखारी ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ ९५ । क्रि॰ प्र॰—करना ।—देना ।