ओली
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]ओली संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ ओल+ई (प्रत्य॰)]
१. गोद । उ॰—अपनी ओली मे बैठाकर मुख पोंछा, हवा करने लगी ।—श्यामा॰ पृ॰ ७१ । मुहा॰—ओली लेना=गोद लेना । दत्तक बनाना ।
२. अंचल । पल्ला । उ॰—देहि री काल्हि गई कहि दैन पसारहु औलि भरौ पुनि फेंटीं ।—केशव ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ ३० । मुहा॰—ओली ओड़ना=आँचल फैलाकर कुछ माँगना । विनय- पूर्वक कोई प्रार्थना करना । विनती करना । उ॰—(क) एँड सों ऐंडाई जिनि अंचल उड़ात, ओली ओड़ति हौं काहू की जू डीठि लगि जायगी ।—केशव (शब्द॰) । (ख) बोली न हौं वे बुलाइ रहे हरि पाँय परे अरु ओलियौ औड़ी ।—केशव ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ ११ ।
३. झोली । उ॰—(क) ओलिन अबीर, पिवकारि हाथ । सोहैं सखा अनुज रघुनाथ साथ ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) दसन बसन ओली भरियै रहै गुलाल, हँसनि लसनि त्यौं कपूर सरस्यौ करै ।—घनानंद, पृ॰ ७० ।
४. खेत की उपज का अंदाज करने का एक ढंग जिसमें एक बिस्वे का परता लगाकर बीघे भर की उपज का अनुमान किया जाता है ।