औंड़ा
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]औंड़ा ^१ वि॰ [सं॰ कुण्ड, प्रा॰ उंड] [वि॰ स्त्री॰ औंड़ी] गहरा । गंभीर । उ॰—(क) तब तिन एक पुरस भरि औंड़ी । एक एक योजन लाँबी चौड़ी ।—पद्माकर (शब्द॰) । (ख) यो कहँ गोवर्धन के निकट जाय दो औंड़े कुड़ खूदवाए ।—लल्लू (शाब्द॰) । (ग) यह समझ मणि न पाय श्रीकृष्ण- चंद्र सबको साथ लिए वहाँ गए जहाँ वह औंड़ी महाभयावनी गुफा थी ।—लल्लू (शब्द॰) ।
औंड़ा ^२ वि॰ [हिं॰ औंड़ना = उमड़ना] [वि॰ स्त्री॰ औंड़ी] उमड़ा हुआ । चढ़ा हूआ । बढ़ा हुआ । उ॰—आवत जात ही होय है साँझ बहै जमुना भतरौंड़ लौं औंड़ी ।—रसखान (शब्द॰) ।