औगम्म पु वि॰ [सं॰ अपगम] दे॰ 'अगम' । उ॰—जहाँ न मानुस संचरे निरजन जान मरम्म । जंबू दीप के मानई, भरतखंड औगम्म ।—चित्रा॰, पृ॰ १५९ ।