औठपाय † संज्ञा पुं॰ [देश॰] उत्पात । शरारत । नटखटी । उ॰— अनगने औठपाय रावरे गने न जाहिं वेऊ आहिं तमकि करैया अति मान की । तुम जेई सोई कहौ, वेऊ जोई सुनै, तुम जीभ पातरे वे पातरी हैं कान की ।—केशव (शब्द॰) ।