औथरा पु वि॰ [सं॰ अवस्थल+क (प्रत्य॰)] उथला । छिछला । उ॰—अति अगाध अति औथरी नदी कूप सर वाय । सो ताकौ सागर जहाँ जाकी प्या बुझाय ।—बिहारी (शब्द॰) ।