औलग ^१पु संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ अवलग्न; प्रा॰ ओलग्ग] सेवा । उ॰— औलग करूँ अभंग हरि आगे बिरह बचन निशि वाशा । बाँचूँ विरद न को उर बीजा एक तुम्हारी आशा ।—राम॰ धर्म॰, पृ॰ १८३ ।
औलग ^२पु † संज्ञा पुं॰ [अप॰ अउलग] प्रवास । दूर गमन ।