कँगना
दिखावट
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कँगना ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ कङ्कु] [स्त्री॰ कँगनी]
१. दे॰, 'कंकण' । उ॰—गियँ अमरन पहिरैं जहँ ताई । औ पहिरै कर कँगन कलाई ।—जायसी ग्रं॰ (गुप्त), पृ॰ ३२२ ।
२. वह गीत जो कंकण बाँधते या खोलते समय गाया जाता है ।
कँगना ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ कङ्क] एक प्रकार की घास जिस बैल, घोड़े आदि बहुत खाते हैं । यह पहाड़ी मैदानों में अधिक होती है । साका ।