कँगूरा
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
कँगूरा संज्ञा पुं [फा॰ कँगूरह] [वि॰ कँगूरेदार]
१. शिखर । चोटी । उ॰—कौतुकी कपीश कूदि कनक कँगूरा चढ़ि रावन भवन जाइ ठाढ़ो तेहि काल भो ।—तुलसी (शब्द॰) ।
२. कोट या किले की दीवार में थोडी़ थोडी़ दूर पर बने हुए स्थान जिसका सिरा दीवार से कुछ ऊँचा निकला होता है । और जहाँ से छिपे सिपाही निशाना लगाते हैं । बुर्ज । उ॰— कोट कँगूरन चढ़ि गए कोंटि कोटि रणधीर ।—तुलसी (शब्द॰) ।
३. मंदिर आदि का ऊपरी कलश आदि ।
४. कँगूरे के आकार का छोटा रवा ।
६. नथ के चंदक आदि पर का वह उभाड़ जो छोटे छोटे रवों को शिखराकार रखकर बनाया जाता है ।