कँधावर
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
कँधावर संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कंधा + आवर (= आवरण) (प्रत्य॰)]
१. वह चदर या दुपट्टा जो कधे पर डाला जाता है । मुहा॰— कँधावर डालना = किसी पट या दुपट्टे को जनेऊ की तरह कधे पर डालना । विशेष—विवाह आदि में कपडे़ पहनाकर ऊपर से एक दुपट्टा ऐसा डालते हैं कि इसका एक पल्ला बाएँ कंधे पर रहता है और दूसरा छोर पिछे होकर दाहिने हाथ की बगल से होता हुआ फिर बाएँ कंधे पर आ पड़ता है । इसे कँधावर कहते हैं ।
२. जूए का वह भाग जो बैल के कंधे के ऊपर पहता है ।
३. हुड्डक या ताशे की वह रस्सी जिससे उसे गले में लटकाकर बजाते हैं ।