कँवारी वि॰ [सं॰ कुमारी] कुँआरी । क्वारी । उ॰— वह भी तो दुलहन बनेगी कभी और खुल जायेंगी मेढ़ियाँ, उसकी कच्ची कँवारी सभी मेढ़ियाँ ।—बंदनवार, पृ॰,५१ ।