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कंकल

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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कंकल संज्ञा पुं॰ [सं॰ कृकल] चव्य या चाब का पौधा । विशेष—यह मलक्का द्वीप में बहुत होता है । भारतवर्ष के मलाबार प्रदेश में भी होता है । इसका फल गजपीपर है । लकड़ी भी दवा के काम में आती है । जड़ को चैकठ कहते हैं । बंगाल में जड़ और लकड़ी रँगने के काम में आती है । इसका अकेला रंग पकड़े पर पीलापन लिए हुए बादामी होता है और बक्कम के साथ मिलने से लाल बादामी रंग आता है ।