कंचुरि पु संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ कञ्चुली] केंचुल । उ॰—नैना हरि अंग रूप लुबधेरे माई । लोक लाज कुल की मर्यादा बिसराई । जैसे चंदा चकोर, मृगी नाद जैसे । कंचुरि ज्यों त्यागि फनिक फिरत नहीं तैसे ।—सूर (शब्द॰) ।