कंदला
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कंदला ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ कन्दल = सोना]
१. चाँदी की वह गुल्ली या लंबा छड़ जिससे तारकश तार बनाते हैं । पासा । रैनी । गुल्ली । विशेष—तार बनाने के लिये चाँदी को गलाकर पहले उसका एक लंबा छड़ बनाया जाता है । इस छड़ के दोनों छोर नुकीले होते हैं । अगर सुनहला तार बनाना होता है, तो उसके बीच में सोने का पत्तर चढा़ देते हैं, फिर असको यंत्री में खींचते हैं । इस छड़ को सुनार गुल्ली ओर तारकश कंदला, पासा ओर रैनी कहते हैं । मुहा॰—कंदला गलाना = (१) चाँदी और सोना मिलाकर एक साथ गलाना । (२) सोने या चाँदी का पतला तार । यौ॰—कंदलाकश । कंदलाकचहरी ।
कंदला ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ कन्दल] एक प्रकार का कचनार । दे॰ 'कचनार' ।
कंदला ^२पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ कन्दरा] कंदरा । गुफा । उ॰—दिक्यौ सुवीर कंहला रोह ।—पृ॰ रा॰, १ ।३९८ ।
कंदला कचहरी संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कन्दला + कचहरी] वह जगह जहाँ कंदलाकशी का काम होता है । तार का कारखाना । कंदले का कारखाना ।