कंसपात्र संज्ञा पुं॰ [सं॰] १. काँसे का बर्तन । उ॰—कंसपात्र कौ होइ पुनि, सदन मध्य आभास ।—सुंदर ग्रं॰, भा॰ १, प॰ १८० । २. एक नाप जिसे आढ़क भी कहते थे । यह चार सेर की होती थी ।