ककुभ

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

ककुभ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. अर्जुन का पेड़ ।

२. वीणा का एक अंग । वीणा के ऊपर का वह अंग जो मुड़ा रहता है । प्रसेक्क । विशेष — कोई कोई नीचे के तूबे को भी ककुभ कहते हैं ।

३. एक राग ।

४. एक छंद जो तीन पदों का होता है । इसके पहले पद में ८, दूसरे में १२ और तीसरे में १८ वर्ण होते हैं ।

५. दिशा ।

६. कुटज फूल (को॰) । ७ दैत्यों के एक राजा का नाम [को॰] ।