कच्ची

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कच्ची ^१ वि॰ [हिं॰ कच्चा का स्त्री॰] कच्चा । अपरिपुष्ट । उ॰— इस लौंडे की उम्र अभी कच्ची है ।—प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ॰ ८७ ।

कच्ची ^२ संज्ञा स्त्री॰ कच्ची रसोई । केवल पानी में पकाया हुआ अन्न । अन्न जो दूध या घी में न पकाया गया हो । 'पक्की' का प्रतिलोम शब्द । सखरी । जैसे,—हमारा उनका कच्ची का व्यवहार है । विशेष—द्विजातियों में लोग अपने ही संबंध या बिरादरी के लोगों के हाथ की कच्ची रसोई खा सकते हैं ।

कच्ची असामी संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कच्ची + असामी] वह काम या जगह जो थोडे़ दिनों के लिये हो । चंदरोजा जगह ।

कच्ची कली संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कच्चा = कली]

१. वह कली जिसके खिलने में देर हो । मुँहबँधी कली ।

२. स्त्री जो पुरुष समागम के योग्य न हो । अप्राप्तयौवना ।

३. जिस स्त्री से पुरुषसमागम न हुआ हो । अछूती । मुहा॰—कच्ची कली टूटना =

१. थोड़ी अवस्थावाले का मरना ।

२. बहुत छोटीं अवस्थावाली या कुमारी का पुरुष से संभोग होना ।

कच्ची कुर्की संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कच्ची + कुर्की] वह कुर्की जो प्रायः महाजन लोग अपने मुकदमे का फैसला होने से पहले ही इस आशंका से जारी करते हैं जिसमें मुकदमे का फैसला होने तक मुद्दालेह अपना माल असबाब इधर उधर न कर दे । वि॰ दे॰ 'कुर्की' ।

कच्ची गोटी संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कच्ची + गोटी] चौसर के खेल में वह गोटी जो उठी तो हो पर पक्की न हो । चौसर में वह गोटी जो अपने स्थान से चल चुकी हो, पर जिसने आधा रास्ता पर न किया हो । उ॰—कच्ची बारहि बार फिरासी । पक्की तो फिर थिर न रहासी ।—जायसी (शब्द॰) । विशेष—चौसर में गोटियों के चार भेद हैं । मुहा॰—कच्ची गोटी खेलना = नाताजुर्बेक रहना । अशिक्षित बने रहना । अनाड़ीपन करना । जैसे,—उसने ऐसी कच्ची गोटियाँ नहीं खेली हैं जो तुम्हारी बातों में आ जाय ।

कच्ची गोली संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कच्ची + गोली] मिट्टी की गोली जो पकाई न हो । ऐसी गोली खेलने में जल्दी टूट जाती है । मुहा॰—कच्ची गोली खेलना = नातजुरूबे रहना । नातजुरबेकार होना । अनाड़ीपन करना । उ॰—यहाँ किसी ने कच्ची गोलियाँ नहीं खेली हैं । क्या मुफ्त की अशर्फियाँ हैं ।—फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ ५५३ । दे॰ 'कच्ची गोटी खेलना' ।

कच्ची घड़ी संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कच्ची + घड़ी] काल का एक माप जो दिन रात के साठवें अंश के बराबर होता है । २४ मिनट का काल । दंड ।

कच्ची चाँदी संज्ञा स्त्री॰[हिं॰ कच्ची +चाँदी] चोखी चाँदी । बिना मेल की चाँदी । खरी चाँदी ।

कच्ची चीनी संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰] वह चीनी जो गलाकर खूब साफ न की गई हो ।

कच्ची जबान संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कच्ची +फा़॰ जबान] दुर्वचन । गाली । अपशब्द ।

कच्ची जाकड़ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कच्ची +जाकड़] वह बही जिसमें उस माल के लेनदेन का ब्योरा हो जो निश्चित रूप से न बिक गया हो ।

कच्ची नकल संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कच्ची + अ॰ नक्ल] वह नकल जो सरकारी नियम के विरुद्ध किसी सरकारी कागज या मिसिल से खानगी तौर पर सादे कागज पर उतरवाई जाय । विशेष—यह नकल निज के काम में आ सकती है, पर किसी हाकिम के सामने या अदालत में पेश नहीं हो सकती ।

कच्ची निकासी संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कच्ची + निकासी] वैसी कुल आमदनी जिसमें खर्च का अंश पृथक् न किया गया हो ।

कच्ची नींद संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कच्ची + नींद] वह नींद जो पूरी न हो सके । झपकी । आरंभिक नींद ।

कच्ची पेशी संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कच्ची = फा॰ पेशी] मुकद्दमे की पहली पेशी जिसमें कुछ फैसला नहीं होता ।

कच्ची बही संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कच्ची + बही] वह बही जिसमें किसी दुकान या कारखाने का ऐसा हिसाब लिखा हो जो पूर्ण रूप से निश्चित न हो ।

कच्ची मिती संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कच्ची + मिती]

१. वह मिती जो पक्की मिती के पहले आवे । विशेष—लेनदेन में जिस दिन हुंडी का दिन पूजता है, उसे मिती कहते हैं । उसका दूसरा नाम पक्की मिती भी है । उसके पूर्व के दिनों को कच्ची मिती कहते हैं ।

२. रुपए के लेनदेन में रुपए की मिती और रुपए चुकाने की मिती । विशेष—इन दोनों मितियों का सूद प्रायः नहीं जोडा़ जाता ।

कच्ची रसोईं संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कच्ची = रसोई] केवल पानी में पकाया हुआ अन्न । अन्न जो दूध या घी में न पकाया गया हो ।

कच्ची रोकड़ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कच्ची + रोकड़] वह बही जिसमें प्रति दिन के आय व्यय का कच्चा हिसाब दर्ज रहता है ।

कच्ची शक्कर संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कच्ची =शक्कर] वह शक्कर जो केवल राब की जूसी निकालकर सुखाने से बनती है । खाँड़ ।

कच्ची सड़क संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कच्ची = सड़क] वह सडक जिसमें कंकड़ आदि न पिटा हो ।

कच्ची सिलाई संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कच्ची + सिलाई]

१. वह दूर दूर पड़ा हुआ डोभ या टाँका जो बखिया करने के पहले जोडों को मिलाए रहता है । यह पीछे खोल दिया जाता है । लंगर । कोका ।

२. किताबों की वह सिलाई जिसमें सब फरमें एक साथ हाशिए पर से सी दिए जाते हैं । इस सिलाई की पुस्तक के पन्ने पूरे नहीं खुलते । जिल्दबंदी में इस प्रकार की सिलाई नहीं की जाती । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना ।