कछ ^१पु † वि॰ [हिं॰ कुछ] दे॰ 'कुछ' । उ॰—कहत रविदास तोहिं सूझत न कछ काम, धाँम, धँन, धरा धाम, धनि मँनि दुख दंद में ।—पोद्दार अभि॰ ग्रं॰, पृ॰ ४३२ ।
कछ ^२ पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ कक्ष] दे॰ 'कक्ष' । उ॰—नासिका कछ इंद्री के मूआ ।—प्राण॰, पृ॰ २३ ।